Monday, March 16, 2015

RSS का नया ऐजन्डा अब देश

RSS का नया ऐजन्डा
अब देश में हिन्दू, मुस्लिम दंगा नहीं होगा, क्योंकि
शियाओं को सुन्निओं के खिलाफ
सुन्निओं को वहाबीओ के खिलाफ
वहाबियों को अहेले हदीस के खिलाफ
आपस में लडाने की सोची समझी साजिश प्लानिंग तैयार की हुई है।
मेरे अजीज दोस्तों आपका अकीदा आपको मुबारक हो, कब्र में होने वाली ओरल एक्जाम खुदको ही देनी है,
जो जीता वह सिकंदर।
मेरी सब उम्मते मुहम्मदी या से आजीजाना गुजारिश है कि बराये मेहरबानी सब अपने अपने अकीदे पर ईमान के साथ मुकम्मल रहके दुसरे अकीदेवाले की गीबत ना करें, हर आदमी पाच वक़्त की नमाज़ पबंदी के साथ पढें और अल्लाह से दुआ करते रहे अल्लाह हमारे मुसलमानों की हिफ़ाज़त फरमा,हमारी माँ बहनों की बेटियों की इज्जत आबरू सलामत रखना और हम सब अलग अलग अकीदे वाले हैं फिर भी हमारा कूरान एक है.।
इन्होंने प्लानिंग बनाई है के फिरका परस्ती में डाल कर तोडा जा सकता है पर हमें तुटना नहीं है जुडना है, हम सब एक और नेक हो जाये तो ये लोग हमको डराने की बजाए हमसे डरने लगेगें इन्शा अल्लाह ।
ये मेसेज को हर मुस्लिम ग्रुप में फारवर्ड कर दो ताकि दुश्मन अपने मकसद में कामयाब ना होने पाए l

Sunday, March 15, 2015

क्या आप जानते हो?

⬜🔷 क्या आप जानते हो? 🔷⬜

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🔷⬜   नबी ए करीम ﷺ   ⬜🔷

▫🔹▫🔹▫🔹▫🔹▫

अल्लाह तआ़ला ने सब से पहले अपने
नुर से हमारे नबी ए करीम ﷺ का नूर
बनाया और हुज़ूर के नूर से कायनात
की सारी चीज़ें बनाई

📚- हवाला :- सीरते रसूले अरबी

▫🔹▫🔹▫🔹▫🔹▫

अल्लाह तआ़ला ने ह़ज़रते आदम
अ़लैहिस्सलाम की पैदाइश से दो
हज़ार साल पहले नबी ए करीम ﷺ
का नाम अपने नाम के साथ लिखा

📚 -हवाला :- सीरते रसूले अरबी

▫🔹▫🔹▫🔹▫🔹▫

हुज़ूर काबे का काबा हैं इसीलिए आप
की विलादत पर काबए मुअज़्ज़मा ने
ह़ज़रते आमिना रदीअल्लाहो तआ़ला
अ़न्हा के मकान या मक़ामे इब्राहीम की
तरफ सज्दा किया था

📚 -हवाला :- मदारिजुन्नुबुव्वह

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मेराज की रात नबी ए करीम ﷺ
मक्का से बैतुल मुक़द्दस तक बुराक
पर... बैतुल मुक़द्दस से आसमाने
दुनिया तक मेराज (एक सीढ़ी) पर
वहां से सातवे आसमान तक फ़िरिश्तों
के परों पर और वहां से सिदरतुल
मुन्तहा तक ह़ज़रते जिब्राईल के बाज़ू
पर और सिदरतुल मुन्तहा से अ़र्श तक
रफ़ रफ़ पर तशरीफ़ ले गए

वापसी भी इसी तरतीब से हुई

📚 -हवाला :- बुखारी शरीफ़

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नबी ए करीम ﷺ पर दुरूद शरीफ़
पढ़ना हर आक़िल बालिग़ मुसलमान
पर उम्र में एक बार फ़र्ज़ हैं

📚𶠭हवाला :- बुख़ारी शरीफ़

▫🔹▫🔹▫🔹▫🔹▫

नबी ए करीम ﷺ का इस्मे मुबारक
आसमान पर अह़मद
ज़मीन पर मुह़म्मद
और
ज़मीन के नीचे मह़मूद हैं

📚 -हवाला :- सिरते रसूले अरबी

▫🔹▫🔹▫🔹▫🔹▫

नबी ए करीम ﷺ के जिस्म मुबारक
और कपड़ों पर मक्खी नही बैठती थी

कुछ उ़लमाए अजम ने कहा हैं कि
मुहम्मदुर्रसूलुल्लाह
(सल्लल्लाहो अलयहे वसल्लम) में
बिना नुक़्ते वाले हुरूफ़ हैं
क्यूंकि
नुक़्ता मक्खी से मुशाबेह होता हैं
और
अल्लाह तआ़ला ने आप के
जिस्मे पाक के साथ इस्मे पाक को
भी इस मुशाबेहत से मह़फ़ूज़ रखा हैं

📚 -हवाला :- तारीख़े  ह़बीबुल्लाह

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नबी ए करीम ﷺ को कभी जमाही
(उबासी) नही आई

📚-हवाला :- सीरते रसूले अरबी

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नबी ए करीम ﷺ जिस जानवर पर
सवार होते जब तक सवार रहते
जानवर न लीद करता न और कोई गन्दगी

📚 -हवाला :- सीरते रसूले अरबी

▫🔹▫🔹▫🔹▫🔹▫

नबी ए करीम ﷺ के पास एक बोरिया
था जिसे मोड़ कर आप उसे हुजरे की
त़रह़ बना लेते थे और उसी में नमाज़
अदा फ़रमाते थे, दिन में उसी को बिछा
कर उस पर तशरीफ़ फ़रमा होते थे

📚 -हवाला :- सीरते रसूले अरबी

▫🔹▫🔹▫🔹▫🔹▫

नबी ए करीम ﷺ के पास तीन
तलवारें थी
एक का नाम ज़ुल्फ़िक़ार दुसरी का
नाम मासूर और तीसरी नाम तबार था

📚 - हवाला :- मदारिजुन्नुबुव्वह

▫🔹▫🔹▫🔹▫🔹▫

नबिय्ये रह़मत सल्लल्लाहो तआ़ला
अ़लैहे वसल्लम को ( 34 ) बार
रूह़ानी मेराज हुई

📚 -हवाला :- सीरते रसूले अरबी

▫🔹▫🔹▫🔹▫🔹▫

नबी ए करीम ﷺ जिस बिस्तर पर
आराम फ़रमाते थे वो बिस्तर चमड़े का
था और उस में ख़जूर की मूंझ भरी हुई थी

📚 -हवाला :- बुखारी शरीफ

▫🔹▫🔹▫🔹▫🔹▫

नबी ए करीम ﷺ जब खाना खाते थे
तो अपनी उंग्लियों को तीन बार चाटते
थे और आप ने सारी उम्र न तो चौकी
पर बैठ कर खाना खाया और न ही
चपाती खाई

📚 -हवाला :- तोहफतुल वाइज़ीन

▫🔹▫🔹▫🔹▫🔹▫

नबी ए करीम ﷺ के अबरुओं ( भवों )
के बीच एक रग थी जो ग़ुस्से की
ह़ालत में सुर्ख़ हो जाती थी

📚 -हवाला :- बुखारी शरीफ

▫🔹▫🔹▫🔹▫🔹▫

नबी ए करीम ﷺ जब चलते थे तो
यूं मह़सूस होता था जैसे आप ऊंचाई
से उतर रहे हो

📚 -हवाला :- बुखारी शरीफ

▫🔹▫🔹▫🔹▫🔹▫

नबी ए करीम ﷺ अंगूठी चांदी की थी
और उस का नगीना हबश का अक़ीक़ था

📚 -हवाला :- तिर्मिज़ी शरीफ

▫🔹▫🔹▫🔹▫🔹▫

नबी ए करीम ﷺ चाकी लम्बाई चार
गज़ की और चौड़ाई ढ़ाई गज़ की थी

📚 -हवाला :- जुरकानि

▫🔹▫🔹▫🔹▫🔹▫

नबी ए करीम ﷺ ने जो आख़िरी
खाना खाया हैं उस में पुख़्ता
( पका हुआ ) लहसन पड़ा हुआ था

📚 -हवाला :- बुखारी शरीफ

▫🔹▫🔹▫🔹▫🔹▫

नबी ए करीम ﷺ खजूर ओर
मक्खन को निहायत मरग़ूब रखते थे

📚 -हवाला :- बुखारी शरीफ

▫🔹▫🔹▫🔹▫🔹▫

नबी ए करीम ﷺ का करीन ( यानी )
साथ रहनेवाला शैत़ान भी मुसलमान
हो गया था येह ख़ुसूसिय्यत सरकार
के सदक़े में दुसरे नबियों को भी
ह़ासिल रही

📚 -हवाला :- बुखारी शरीफ

▫🔹▫🔹▫🔹▫🔹▫

नबी ए करीम ﷺ का महशर के दिन
का सज्दा एक हफ़्ते तक रहेगा जिस
में आप ऐसी ह़म्द करेंगे जो कभी
किसी ने न की होगी

📚 -हवाला :- बुखारी शरीफ

▫🔹▫🔹▫🔹▫🔹▫

नबी ए करीम ﷺ को लौकी बहुत
पसन्द थी

नबी ए करीम ﷺ फरमाते थे :

लौकी मेरे भाई यूनुस अ़लैहिस्सलाम
का दरख़्त हैं

📚 -हवाला :- तोहफतुल वाइज़ी
▫🔹▫🔹▫🔹▫🔹▫

मौरिस बुकाय

Dr. Morris Bokay’s Journey of Faith … डॉ मौरिस बुकाय फ्रांस के सबसे बड़े
डाक्टर थे, और उनका धर्म ईसाई था ॥
1898 मे जब मिस्र मे लाल सागर के
किनारे एक अति प्राचीन मानव शरीर
मिला जो आश्चर्यजनक रूप से
हज़ारों साल गुजर जाने के बाद भी सुरक्षित था, सभी को इस मृत
शरीर का रहस्य जानने
की उत्सुकता रहती थी इसीलिए इस
शरीर को 1981 मे चिकित्सकीय खोज
के लिए फ्रांस मंगवाया गया और इस
शरीर पर डाक्टर मौरिस ने परीक्षण किए …. परीक्षणों से डाक्टर मौरिस ने
निष्कर्ष निकाले कि जिस
व्यक्ति की ये मृत देह है
उसकी मौत समुद्र मे डूबने के कारण हुई
थी क्योंकि डाक्टर मौरिस को उस मृत
शरीर मे समुद्री नमक का कुछ भाग मिला था, साथ ही ये
भी पता चला कि इस व्यक्ति को डूबने
के कुछ ही समय बाद पानी से बाहर
निकाल लिया गया था …. लेकिन ये
बात डाक्टर मौरिस के समक्ष अब
भी एक पहेली थी कि आखिर ये शरीर अपनी मौत के हजारो साल बाद
भी सड़ गल कर नष्ट क्यों नहीं हुआ ….? तभी उन्हें अपने एक सहकर्मी से
पता चला कि मुस्लिम लोग
बिना जांच रिपोर्ट के सामने आए
ही ये कह रहे हैं कि ये व्यक्ति समुद्र मे डूब
कर मरा था,
और ये मृत देह उस फिरऔन की है जिसने अल्लाह के नबी हजरत
मूसा (अलैहि सलाम) और उनके
अनुयायियों का कत्ले आम
कराना चाहा था, क्योंकि फिरऔन
की लाश के सदा सुरक्षित रहने और
उसके समुद्र मे डूब कर मरने की बात उनकी पवित्र पुस्तक कुरान मे लिखी है
जिसपर वो विश्वास करते हैं … मौरिस को ये सोचकर बहुत हैरत हुई
कि इस मृत देह के समुद्र मे डूब कर मरने
की जिस बात का पता मैंने
बड़ी बड़ी अत्याधुनिक
मशीनों की सहायता से
लगाया वो बात मुस्लिमों को पहले से कैसे मालूम चल गई ? और जबकि इस लाश
के अपनी मृत्यु के हजारों साल बाद
भी नष्ट न होने का पता 1981से महज़
83 साल पहले चला है, तो उनकी कुरान
मे ये बात 1400 साल पहले कैसे लिख
ली गई ?? इस शरीर की मौत के हजारों साल
बाद भी इस शरीर के बचे रह जाने
का कोई
वैज्ञानिक कारण डाक्टर मौरिस
या अन्य वैज्ञानिक जब पता न
लगा सके तो इसे ईश्वर के चमत्कार के अतिरिक्त और
क्या माना जा सकता था ??
बाइबल के आधार पर भी मृत देह के मिलने
की लोकेशन और चिकित्सकीय
परीक्षण के आधार पर उस मृत शरीर
की लगभग 3000 वर्ष की उम्र होने के कारण मौरिस को ये विश्वास
तो हो रहा था कि ये शरीर फिरऔन
का ही है, अत: डाक्टर ने फिरऔन के
विषय मे अधिक जानने के लिए तौरात
शरीफ (बाइबल : ओल्ड टेस्टामेण्ट)
का अध्ययन करने का निर्णय किया, लेकिन तौरात मे उन्हें सिर्फ
इतना लिखा हुआ मिला कि फिरऔन
और उसकी फौज समुद्र मे डूब गए और उनमें
से एक भी नहीं बचा . लेकिन फिरऔन
की लाश का कहीं जिक्र तक न था … मौरिस के ज़हन मे कई सवाल खटकते रहे,
और आखिरकार वो इन सवालों के
जवाब हासिल करने सऊदी अरब मे चल
रही एक बड़ी मेडिकल सेमिनार मैं
हिस्सा लेने पहुंच गए, जहाँ उन्होंने
फिरऔन की मृत देह के परीक्षण मे जो पाया वो बताया, उसी वक्त
डाक्टर मौरिस की बात सुनकर एक
मुस्लिम डाक्टर ने कुरान पाक खोलकर
सूरह यूनुस की ये आयत पढ़कर
सुना दी कि… अल कुरान : “इसलिए हम तेरे जिस्म
को बचा लेंगे, ताकि तू अपने बाद
वालों के लिए एक निशानी हो जाए !
बेशक बहुत से लोग
हमारी निशानियों की तरफ से
लापरवाह रहते हैं ” - [सुरह: यूनुस:आयत-92] इस आयत का डाक्टर मौरिस बुकाय पर
कुछ ऐसा असर पड़ा कि उसी वक्त खड़े
होकर उन्होने ये ऐलान कर दिया कि-
“मैने आज से इस्लाम कुबूल कर लिया, और
इस पवित्र कुरान पर विश्वास कर
लिया ” इसके बाद अपने वतन फ्रान्स वापस
जाकर कई साल तक डाक्टर मौरिस
कुरान और साइंस पर रिसर्च करते रहे, और
फिर उसके बाद कुरआन के
साइंसी चमत्कारों के विषय मे
ऐसी ऐसी किताबें लिखी जिन्होंने दुनियाभर मे धूम
मचा दी थी !

मौरिस बुकाय

Dr. Morris Bokay’s Journey of Faith … डॉ मौरिस बुकाय फ्रांस के सबसे बड़े
डाक्टर थे, और उनका धर्म ईसाई था ॥
1898 मे जब मिस्र मे लाल सागर के
किनारे एक अति प्राचीन मानव शरीर
मिला जो आश्चर्यजनक रूप से
हज़ारों साल गुजर जाने के बाद भी सुरक्षित था, सभी को इस मृत
शरीर का रहस्य जानने
की उत्सुकता रहती थी इसीलिए इस
शरीर को 1981 मे चिकित्सकीय खोज
के लिए फ्रांस मंगवाया गया और इस
शरीर पर डाक्टर मौरिस ने परीक्षण किए …. परीक्षणों से डाक्टर मौरिस ने
निष्कर्ष निकाले कि जिस
व्यक्ति की ये मृत देह है
उसकी मौत समुद्र मे डूबने के कारण हुई
थी क्योंकि डाक्टर मौरिस को उस मृत
शरीर मे समुद्री नमक का कुछ भाग मिला था, साथ ही ये
भी पता चला कि इस व्यक्ति को डूबने
के कुछ ही समय बाद पानी से बाहर
निकाल लिया गया था …. लेकिन ये
बात डाक्टर मौरिस के समक्ष अब
भी एक पहेली थी कि आखिर ये शरीर अपनी मौत के हजारो साल बाद
भी सड़ गल कर नष्ट क्यों नहीं हुआ ….? तभी उन्हें अपने एक सहकर्मी से
पता चला कि मुस्लिम लोग
बिना जांच रिपोर्ट के सामने आए
ही ये कह रहे हैं कि ये व्यक्ति समुद्र मे डूब
कर मरा था,
और ये मृत देह उस फिरऔन की है जिसने अल्लाह के नबी हजरत
मूसा (अलैहि सलाम) और उनके
अनुयायियों का कत्ले आम
कराना चाहा था, क्योंकि फिरऔन
की लाश के सदा सुरक्षित रहने और
उसके समुद्र मे डूब कर मरने की बात उनकी पवित्र पुस्तक कुरान मे लिखी है
जिसपर वो विश्वास करते हैं … मौरिस को ये सोचकर बहुत हैरत हुई
कि इस मृत देह के समुद्र मे डूब कर मरने
की जिस बात का पता मैंने
बड़ी बड़ी अत्याधुनिक
मशीनों की सहायता से
लगाया वो बात मुस्लिमों को पहले से कैसे मालूम चल गई ? और जबकि इस लाश
के अपनी मृत्यु के हजारों साल बाद
भी नष्ट न होने का पता 1981से महज़
83 साल पहले चला है, तो उनकी कुरान
मे ये बात 1400 साल पहले कैसे लिख
ली गई ?? इस शरीर की मौत के हजारों साल
बाद भी इस शरीर के बचे रह जाने
का कोई
वैज्ञानिक कारण डाक्टर मौरिस
या अन्य वैज्ञानिक जब पता न
लगा सके तो इसे ईश्वर के चमत्कार के अतिरिक्त और
क्या माना जा सकता था ??
बाइबल के आधार पर भी मृत देह के मिलने
की लोकेशन और चिकित्सकीय
परीक्षण के आधार पर उस मृत शरीर
की लगभग 3000 वर्ष की उम्र होने के कारण मौरिस को ये विश्वास
तो हो रहा था कि ये शरीर फिरऔन
का ही है, अत: डाक्टर ने फिरऔन के
विषय मे अधिक जानने के लिए तौरात
शरीफ (बाइबल : ओल्ड टेस्टामेण्ट)
का अध्ययन करने का निर्णय किया, लेकिन तौरात मे उन्हें सिर्फ
इतना लिखा हुआ मिला कि फिरऔन
और उसकी फौज समुद्र मे डूब गए और उनमें
से एक भी नहीं बचा . लेकिन फिरऔन
की लाश का कहीं जिक्र तक न था … मौरिस के ज़हन मे कई सवाल खटकते रहे,
और आखिरकार वो इन सवालों के
जवाब हासिल करने सऊदी अरब मे चल
रही एक बड़ी मेडिकल सेमिनार मैं
हिस्सा लेने पहुंच गए, जहाँ उन्होंने
फिरऔन की मृत देह के परीक्षण मे जो पाया वो बताया, उसी वक्त
डाक्टर मौरिस की बात सुनकर एक
मुस्लिम डाक्टर ने कुरान पाक खोलकर
सूरह यूनुस की ये आयत पढ़कर
सुना दी कि… अल कुरान : “इसलिए हम तेरे जिस्म
को बचा लेंगे, ताकि तू अपने बाद
वालों के लिए एक निशानी हो जाए !
बेशक बहुत से लोग
हमारी निशानियों की तरफ से
लापरवाह रहते हैं ” - [सुरह: यूनुस:आयत-92] इस आयत का डाक्टर मौरिस बुकाय पर
कुछ ऐसा असर पड़ा कि उसी वक्त खड़े
होकर उन्होने ये ऐलान कर दिया कि-
“मैने आज से इस्लाम कुबूल कर लिया, और
इस पवित्र कुरान पर विश्वास कर
लिया ” इसके बाद अपने वतन फ्रान्स वापस
जाकर कई साल तक डाक्टर मौरिस
कुरान और साइंस पर रिसर्च करते रहे, और
फिर उसके बाद कुरआन के
साइंसी चमत्कारों के विषय मे
ऐसी ऐसी किताबें लिखी जिन्होंने दुनियाभर मे धूम
मचा दी थी !

आज्माइएश और अजाब

Bahut khub आज्माइएश और अजाब:::::: मुस्लिम सोच रहे हैं कि आज हम पर जो हालात बर्मा ,भारत ,सीरिया ,इराक ,फलीस्तीन में है वो आजमाइश हैं !!!!! अगर मुस्लिम साबित कदम अपने दीन पर हों और तब मुश्किलें ,परेशानियाँ आयें तब इसको आजमाइश कहा जाता | मगर आज मुस्लिम बद दीन हो चुके हैं ...फिरकों में बंटे हैं ...हक तलफी ,हराम खोरी ,शराब खोरी ,झगड़े फसाद आम हो चुके हैं .... इस्लाम से बहुत दूर निकल चुके हैं ...शिया- सुन्नी -देवबंदी -बरेलवी इख्तिलाफ हद से ज्यादा बढ़ चुके हैं ...एक दुसरे को गाली गलोज ,,खून रेजी बढ़ रही है ( सिरिया ,इराक,पाक . ) ,,तब मुसीबतें ,परेशानियाँ आयीं हैं तो क्या इनको भी आजमाइश समझा जायगा ???? मुझे ''''पढ़े-लिखे'''' मुसलमानों से यह उम्मीद नहीं थी | अफ़सोस हम इतना गिर चुके हैं कि हमको अजाब भी आजमाइश नजर आ रही है | यह है ''पढ़े-लिखे''' मुसलमानों का मेंटल लेवल | आज यह कोम यह भी नहीं सोच पा रही है कि आखिर हमारी बर्बादी ,जिल्लतों की वजह क्या है कि अजाब भी आजमाइश नजर आ रहा है | अगर यही हाल रहा तो अगले 50 सालों तक मुस्लिमो को बर्मा ,गुजरात ,सीरिया ,इराक ,फलीस्तीन जेसे हालातों का सामना करना पड़ेगा और 20~30 लाख मुसलमानों का कत्ल हो सकता है (सीरिया शिया - सुन्नी संघर्ष में अभी तक 270000 लोग मर चुके हैं ) | मुसलमानों क्या अप लोग सिखों से भी सीख हासिल नहीं कर सकते कि उनके साथ 1984 में सिर्फ एक बार जुल्म हुआ और इसके बाद उन्होंने खुद को बदला हालत को समझा और खुद को ताकतवर ,नेक और एक बनाया ...नतीजा आपके सामने है कि सिख भारत की सबसे मजबूत,ताकतवर और पक्की धार्मिक कौम है | क्या आप लोग यहूद से भी गये गुज़रे हो गये हो कि एक बार हिटलर ने उन पर जो तबाही ,जिल्लत के पहाड़ तोड़े ...मगर यहूद ने फिर हालत को समझा ,खुद को बदला ...तालीम और तकनीक में खुद को दुनिया में सबसे अव्वल बनाया और नतीजा आपके सामने है कि कुछ मुट्ठी भर यहूदी ने सिर्फ 1.70 करोड़ मुस्लिमों पर भरी है बल्कि पूरी दुनिया पर उनकी हुकूमत है बेचारे मुसलमान अज़ाब और आजमाइश में भी फर्क नहीं समझते | अभी 50 साल तो मुसलमानों फिरकों से बाहर निकलने और यह सोचने में ही लग जायंगे कि आखिर हम बर्बाद क्यों होते जा रहे हैं | फिरके तो हिन्दू-ईसाई -यहूद में भी होते हैं मगर उनको इससे कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि वह जानते हैं कि सही -गलत का फेंसला उपर वाला करेगा ...मगर मुसलमान एक दुसरे को काटकर दुनिया में ही कयामत से पहले कयामत बरपा कर देना चाहते हैं | १. फिरका परस्ती वाले मुल्लाओं और उनकी लिखित मिलावटी किताबों को छोड़ कर ...उस किताब ए खुदा की और लोटो जिसकी गारंटी खुद अल्लाह ने ली हो और जिसके मानने का हुक्म दिया गया हो .....मतलब मुक्कमल और एक और नेक मुस्लिम बनो || 2. तालीम और तकनीक की ओर जल्दी और तेजी के साथ दौड़ो क्योंकि इस समय तलवार नहीं ,एटम का जमाना है संख्या नहीं ,तकनीक का बोलबाला है quality और quantity के फर्क को समझो हर कीमत पर आला तालीम और तकनीक हासिल करो || अब जंगें लाठी डंडों या तलवार से नहीं दिमाग से लड़ी जाती हैं और दिमाग से लड़ने के लिए तालीम और इल्म हासिल करना होगा !! अपना हथियार इल्म को बना लो दोस्तों.. यह ऐसा हथियार है जिसके आगे दुनिया की हर ताकत झुकती है || Dosto is msg ko har muslim group me post karo taki har musalman bhai k pas ye msg pahuche