Sunday, March 5, 2017

बाप की अज़मत باپ کی عظمت


एक शख़्स नबी करीम(स.अ) की ख़िदमत मे हाज़िर हुआ और उसने अपने बाप की शिकायत की के या रसूलल्लाह(स.अ) मेरा बाप मुझ से पूछता नहीं और मेरा सारा माल ख़्रच करदेता है.....!



आप(स.अ) ने उनके वालिदे मौहतरम को बुलवाया,



जब उनके वालिद को पता चला के मेरे बेटे ने रसूलुल्लाह(स.अ) से मेरी शिकायत की है तो दिल मे बोहौत रंजीदा हुऐ और रसूलुल्लाह(स.अ) की ख़िदमत मे हाज़री के लिये चलदिये.......!


चूंकि अरब की घुट्टी मे शायेरी थी तो रासते मे कुछ अशआर कहते हुऐ पहुंचे ..........!

इधर बारगाहे रिसालत मे पहुँचने  से पहले "हज़रत जिबराईल(अ.स) आप(स.अ) की ख़िदमत मे हाज़िर हुऐ और फरमाया के अल्लाह सुबहानहु तआला ने फरमाया है के इंका मामला बाद मे सुनियेगा पहले वोह अशआर सुनैं जो वोह सोचते हुऐ आरहे हैं


.........जब वोह हाज़िर हुऐ तो आप(स.अ) ने फरमाया के आपका मामला बाद मे सुना जायेगा पहले वोह अशआर सुनाईये जो आप सोचते हुऐ आये हैं..........!!!



वोह मुख़लिस सहाबी थे यह सुनकर रौने लगे के जो अशआर अभी मेरी ज़बान से अदा भी नहीं हुऐ मेरे कानौं ने भी नहीं सुने आप के रब ने सुन भी लिये और आपको बता भी दिया..........!!!



सहाबी ने अशआर पढने शुरू किये



ऐ मेरे बेटे जिस दिन तू पैदा हुआ

हमारी मेहनत के दिन भी शुरू होगये

तू रोता था हम सो नहीं सकते थे

तू नहीं खाता था हम खा नहीं सकते  थे

तू बीमार होजाता तो तुझे लिये तबीब के पास इलाजो मुआलजे के लिये मारे मारे फिरते थे

के कहीं कुछ हो न जाये

कहीं मर न जाये

हालांके मौत अलग चीज़ है और बीमारी अलग चीज़

फिर तुझे गरमी से बचाने के लिये

 मैं दिन रात काम करता के मेरे बेटे को ठंडी छांव मिलजाये

तुझे ठंड से बचाने के लिये मैने पत्थर तोडे तग़ारियां उठाईं के मेरे बच्चे को गरमी मिलजाये

जो कमाया तेरे लिये

जो बचाया तेरे लिये

तेरी जवानी के ख़्वाब देखने के लिये मैंने दिन रात महनत की, 


अब मेरी हड्डियां कमज़ोर होगईं हैं 

लेकिन तू कडियल जवान होगया

फिर मुझ पर ख़िज़ां ने डेरे डाल लिये और 

तुझ पर बहार आ गई

मैं झुक गया

तू सीधा होगया

अब मेरी ख्वाहिश और मेरी उम्मीद पूरी हुई के 

अब तू हरा भरा होगया है


चल अब ज़िंदगी की आख़री सांसैं तेरी छांव मे बैठ कर गुज़ारूंगा

मगर यह किया जवानी आते ही तेरे तैवर बदल गऐ

तेरी आंखैं माथे पर चढ गईं

तू ऐसे बात करता है 

जैसे मेरा सीना फाड कर रख देता है

तू  ऐसे बात करता है 

के कोई ग़ुलाम से भी बात नहीं करता

फिर मैने अपनी सारी ज़िंदगी की महनत को भुला दिया के 

मैं तेरा बाप नहीं नौकर हूं

नौकर को भी कोई ऐक वक़्त की रोटी दे ही देता है

तू नौकर समझ कर ही मुझे रोटी दे दिया कर



.............................................आप(स.अ) यह अशआर सुनकर इतना रोये के आप(स.अ) की डाढी मुबारक तर होगई, आप(स.अ) अपनी जगह से उठे और उस बेटे का ग्रहबान पकड कर फरमाया

तू और तेरा सब कुछ तेरे बाप का है

तू और तेरा सब कुछ तेरे बाप का है

तू और तेरा सब कुछ तेरे बाप का है

.....................................................

अल्लाह रब्बे करीम से दुआ है

رب ارحمهماكما رب ياني صغيراا

ایک شخص نبی کریم (س) کی خدمت میں حاضر ہوا اور اس نے اپنے باپ کی شکایت کی کے یا رسول اللہ (س) میرا باپ مجھ سے پوچھتا نہیں اور میرا سارا مال خرچ کردیتا ہے .....!



آپ (س) نے ان والدے موهترم کو بلوایا،



جب ان کے والد کو پتہ چلا کے میرے بیٹے نے رسول (س) سے میری شکایت کی ہے تو دل میں بوهوت رنجیدہ ہوئے اور رسول اللہ (س) کی خدمت میں حاضری کے لیے چلديے .......!


چونکہ عرب کی گھٹی میں شايےري تھی تو راستے میں کچھ اشعار کہتے هے پہنچے ..........!

ادھر بارگاہ رسالت میں پہنچنے سے پہلے "حضرت جبرايل (اس) آپ (س) کی خدمت میں حاضر ہوئے اور فرمایا اللہ سبهانه تعالی نے فرمایا ہے کے انکا معاملہ بعد میں سنيےگا پہلے ووه اشعار سنے جو ووه سوچتے هے آرہے ہیں


......... جب ووه حاضر هے تو آپ (س) نے فرمایا کے خوش معاملہ بعد میں سنا جائے گا پہلے ووه اشعار سناييے جو آپ سوچتے هے آئے ہیں ..........! !!



ووه مخلص صحابی تھے یہ سن کر رونے لگے جو اشعار ابھی میری زبان سے ادا نہیں هے میرے كانو نے بھی نہیں سنے آپ کے رب نے سن بھی لئے اور آپ کو بتا بھی دیا .......... !!!



صحابی نے اشعار پڑھنے شروع کیے



اے میرے بیٹے جس دن تو پیدا ہوا

ہماری محنت کے دن بھی شروع هوگيے

تو روتا تھا ہم سو نہیں سكتے تھے

تو نہیں کھاتا تھا ہم کھا نہیں سكتے تھے

تو بیمار ہوجاتا تو تجھے کیلئے طبیب کے پاس الاجو مالجے کیلئے مارے مارے پھرتے تھے

کہیں کچھ ہو نہ جائے

کہیں مر نہ جائے

هالاكے موت مختلف چیز ہے اور بیماری مختلف چیز

پھر تجھے گرمی سے بچانے کے لئے میں دن رات کام کرتا کے میرے بیٹے کو ٹھنڈی چھاؤں ملجايے

تجھے سردی سے بچانے کیلئے میں نے پتھر توڈے تغاريا اٹھائیں میرے بچے کو گرمی ملجايے

جو کمایا تیرے لئے

جو بچایا تیرے لئے

تیری جوانی کے خواب دیکھنے کے لیے میں نے دن رات محنت کی، اب میری ہڈیاں کمزور ہوگئیں ہیں لیکن تو كڈيل جوان ہوگیا

پھر مجھ پر خزاں نے ڈیرے ڈال لیے اور تجھ پر بہار آ گئی

میں جھک گیا

تو براہ راست ہوگیا

اب میری خواہش اور میری امید پوری ہوئی اب تو ہرا بھرا ہوگیا ہے

چل اب زندگی کی آخری ساسے تیری چھاؤں میں بیٹھ کر گذاروگا

مگر یہ کیا جوانی آتے ہی تیرے تےور بدل گے

تیری اكھے پیشانی پر چڑھ گئیں

تو ایسے بات کرتا ہے جیسے میرا سینہ پھاڑ کر رکھ دیتا ہے

تو ایسے بات کرتا ہے کے کوئی غلام سے بھی بات نہیں کرتا

پھر میں نے اپنی ساری زندگی کی محنت کو بھلا دیا کے میں تیرا باپ نہیں نوکر ہوں

نوکر کو بھی کوئی ےك وقت کی روٹی دے ہی دیتا ہے

تو نوکر سمجھ کر ہی مجھے روٹی دیدیا کر



............................................. آپ (س ) یہ اشعار سن کر اتنا روئے کے آپ (س) کی ڈاڈھی مبارک تر ہوگئی، آپ (س) اپنی جگہ سے اٹھے اور اس بیٹے کا گرهبان پکڑ کر فرمایا

تو اور تیرا سب کچھ تیرے باپ کا ہے

تو اور تیرا سب کچھ تیرے باپ کا ہے

تو اور تیرا سب کچھ تیرے باپ کا ہے

.................................................. ...

اللہ رب کریم سے دعا ہے

رب ارحمهماكما رب ياني صغيرا

1 comment:

  1. Aakhon se aansu nikal aate😭😭😭😭😭😭😭😭😭

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